मीली हे ख़ुशी तो इसे गवायेंगे नही
पर दर्द दिल का बतायेंगे भी नहीं
सुना हे महोलत चार दिन की हे
फ़ीर तो इन लम्हो को गवायेंगे नहीं।
कुछ तो लोग कहेंगे तो कहनेदो
पर लोगो की बात में अब आना नहीं।
तकलीफे रंज गम रास्तेमे ही मीलेंगे
पर जुबां से अब किसे बताना नहीं।
के बी. सोपारीवाला