( कविता ) ( पूरा पागल )
काफी साल पहले से ही
एक लड़की को प्यार करता रहा
तुम से मुझे प्यार है
ये कहने में मैं उस से डरता रहा
वह दिन में रात में
सपनों में भी आती रही
सच में वह लड़की
मेरे मन को भाती रही
एक दिन मैंने अपना
हुनर दिखाया
उस लड़की को हिम्मत कर
अपने पास बुलाया
वह भी मुस्कुरा कर पास
आकार हो गई खड़ी
तब भी उसको प्यार है तुम से...
ये कहने की हिम्मत न पड़ी
वह फिर बोली
तू आदमी नहीं सही का
क्यों बुलाया.....?
मैं जाती हूं पगले कहीं का
ये बोल कर वह
नौ दो ग्यार हो गई
क्या करूं हाय उस से
मुझे और बड़ी प्यार हो गई
थोड़े दिन बाद शादी
उसकी हो गई किसी से
मैं भीतर ही भीतर
जलता रहा इसी से
उसकी शादी वाले दिन तो
बहुत दुखी होता रहा
अकेले में जा कर
सुबक सुबक रोता रहा
अब उसके भी
हो गए दो बच्चे
मिया और बीबी
वे भी हैं अच्छे
मगर अभी भी उसके
प्यार में मर रहा हूं
पूरा पागल हो गया
ये मैं क्या कर रहा हूं....?
पूरा पागल हो गया
ये मैं क्या कर रहा हूं.........?