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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हर घड़ी कुछ कमी सी खली-ताज मोहम्मद

जाने किस देश को तुम हो चली गई।
मन मेरा ढूंढता है बस तुम्हें हर घड़ी।।1।।

वक्त कटता गया सब सही हो गया।
बस मेरी रूह को कुछ खुशी ना मिली।।2।।

कोशिशें तो बहुत हमने की हैं मगर।
सब मिला है मुझे एक तू ही ना मिली।।3।।

सब हासिल किया बस तुझे छोड़कर।
इसलिए हर घड़ी कुछ कमी सी खली।।4।।

खो गया मैं वहां जहां तुम थी मिली।
तुझको एहसास है क्या तेरी दिल्लगी।।5।।

मानो ऐसा लगा वक्त सा थम गया।
भीड़ में जब मुझको तेरी सूरत दिखी।।6।।

देखता हूं जहां कुछ फिकर से वहां।
जिंदगी थी मुझे जिस जगह पे मिली।।7।।

धीरे धीरे ख्वाबों का सिलसिला टूटा।
भ्रम सा हुआ नींद से आंख जो खुली।।8।।

जिस जगह पे गया वो वजह भी गई।
जिस वजह से मुझे कभी तुम थी मिली।।9।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Bhushan Saahu said

अति उत्तम प्रस्तुति

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Taj Saahab👌👌 Uttam prastuti

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद भाई जी।

कमलकांत घिरी said

लाजवाब गीत सर जी आफ़रीन 👌👌🙏

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