आओ मेरे हुजूर जरा तशरीफ लाईए
आए हो पहली बार अन्दर तो आईए
ये खामोश निगाहें बता रही हैं हमें
सुनो कुछ हमारी कुछ अपनी सुनाईए
तुम्हारे बिना मेरी महफिल थी अधूरी
बुझती हुई शमां को, फिर से जलाईए
ढ़ल जाएंगे सभी यह रात ये महफिल
छोङकर हाथ मेरा अब यूं न जाईए
पहली नजर में दिल हो गया तुम्हारा
अब तोङ दो इसे या मरहम लगाईए
अपना लो मुझे या ठुकरा दो यादव
इस दिल से क्या कहूं यह तो बताईए
----लेखराम यादव
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




