ना मैं किसी की बीवी हूॅं,
ना मैं किसी की बेटी हूॅं।
मैं किसी की कोई नहीं,
मैं बस इस जहां में अकेली हूॅं।
थी मैं भी किसी की बहन और साली,
थी मैं भी किसी की बहू और बेटी।
पर अब किसी की कुछ भी नहीं,
अब मैं सिर्फ़ अपनी हूॅं।
अब ना कोई मेरा भाई,
ना कोई मेरी बहन है।
सब रूठ गए हैं मुझसे,
अपने ख़्वाबों को पूरा करने के चक्कर में
सब छूट गए हैं मुझसे।
अब ना कोई मेरा दोस्त है,
और ना ही मैं किसी की दोस्त हूॅं।
जो भी हूॅं खुद की खुद हूॅं,
अब मैं इस जहां में सिर्फ़ और सिर्फ़ अकेली हूॅं।
✍️✍️ रीना कुमारी प्रजापत