सच्चाई को ज़िन्दा रखना,
अच्छाई को ज़िन्दा रखना।
ख़ुद से यही मिलाएगी इस,
तन्हाई को ज़िन्दा रखना।
ज़ख़्मों को जिसने सींया उस,
तुरपाई को ज़िन्दा रखना।
ग़म सारे डूबेंगे अपनी,
गहराई को ज़िन्दा रखना।
खिड़की ने ख़्वाहिश बतलाई,
पुरवाई को ज़िन्दा रखना।
अगर आईने सामने आएं,
अंगड़ाई को ज़िन्दा रखना।
सुन लो यार चतुर्वेदी जी,
चतुराई को ज़िन्दा रखना।
----सुरेन्द्र चतुर्वेदी
Credit : सुरेन्द्र चतुर्वेदी & https://www.facebook.com/surendra.chaturvedi.79/posts/pfbid0mUMhieXpf5UbQh9H6rM1agJ88Dd4ysQFuY9PCcLvUHmx8vgxFPVH12YPLgh3q4Mjl