जानना है मेरा दर्द तो मेरी कविताऍं पढ़ा करो..
मेरे यारों अपना दर्द मैं कविताओं में लिखा करती हूॅं।
जानना है अगर मेरी खुशियों को तो मेरी कविताऍं पढ़ा करो, अपनी खुशियाॅं भी मैं वहीं लिखा करती हूॅं।।
जानना है अगर मुझ मुफ़लिस की मुफ़लिसी तो
मेरी ग़ज़लों को पढ़ा करो....
मेरे यारों अपनी मुफ़लिसी को हम ग़ज़लों में लिखा करते हैं।
जानना है अगर मेरा मिज़ाज तो मेरी नज़्मों को पढ़ा करो, अपनी फितरत भी हम वहीं बयां करते हैं।।
जानना है अगर तुम्हारे लिए मेरे दिल में छिपे प्यार को
तो कविताऍं मेरी पढ़ा करो....
मेरे यारों अपना प्यार हम अपनी कविताओं में
जताया करते हैं।
जानना है मुझे तो मेरी ग़ज़लों को पढ़ा करो,
अपने बारे में हम वहीं लिखा करते हैं।।
जानना है अगर मेरे दिल का हाल
तो मेरी ग़ज़लों को पढ़ा करो.... मेरे यारों अपने दिल का हाल हम अपनी ग़ज़लों में
लिखा करते हैं।
जानना है अगर मेरा शायराना अंदाज़
तो मेरे शेरों को पढ़ा करो, तुम मेरा शायराना अंदाज़ मेरे शेरों से ही समझ सकोगे।।
"रीना कुमारी प्रजापत"
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




