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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एहसास

सावन तुम्हारा, न बरसे, तो
मेरे समीप चले आना
अपनी पलकों से झरती मोतियों से
नित्य नहलाया करूंगा
बसंत तुम्हारा न महके, तो
करीब चले आना
प्रीत सुरभित सांसों से
रोज महकाया करूंगा
उमस तुम्हारा न तपे, तो
निकट आ बैठ जाना
उड़ेल दूंगा, तन-मन की सारी तपन
नित्य झुलसाया करूंगा
हर आनंद, हर तृष्णा,हर कष्टों का
संचित निधि हूं
हर पल "एहसास" कराया करूंगा।


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (11)

+

सुप्रिया साहू said

वाह....बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना सर 👌👌, फिर तो अब एहसास करना शुरू कर दीजिए मनोज सर 🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

सुप्रिया जी। मीठी मीठी प्रतिक्रिया के लिए। हृदय से धन्यवाद।

शिवचरण दास said

वाह वाह

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। सावन, बसंत, उमस उपमानों का सुंदर प्रयोग।👌👌🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

शिवचरन जी, सुभाष जी, प्रतिक्रिया के बाद सहृदय धन्यवाद।

फ़िज़ा said

बहुत ही कोमल, आत्मीय और एहसासों से भीगी हुई रचना

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

फिजा जी, तारीफ कर हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया।

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आदरणीय लेखराम जी, समीक्षा के आपको हृदय से धन्यवाद करता हूं।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! क्या ही कोमल, भावपूर्ण और एहसासों से भीगी हुई रचना है।

प्रकृति के हर रूप को अपने प्रेम से सींच देने का जो भाव आपने दिखाया है, वो सच में अद्भुत है।
"पलकों से झरती मोतियों से नित्य नहलाया करूंगा" — इस पंक्ति में जो संवेदना और अपनापन है, वो किसी को भी भीतर तक भिगो दे।

आपकी कविता मानो कह रही हो —
"मैं बसंत भी हूं, मैं सावन भी हूं, मैं एहसास भी हूं — बस तुम करीब आओ।"

बहुत ही सुंदर कल्पना, बहुत ही मधुर अभिव्यक्ति!
शब्दों में प्रेम, प्रकृति और समर्पण की गहराई एक साथ बह रही है। 🌸🌧️🌿

शानदार रचना! दिल से वाह! 👏✨
सादर प्रणाम आदरणीय सोनवानी सर जी

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अशोक जी नमस्कार। आपने मेरी रचना को दिल से लगाया,मेरा हौसला बढ़ाया,भाव सौंदर्य का खूबसूरत विश्लेषण किया। शब्द नहीं है आपका आभार कैसे करूं।"ये दिल कभी अपना दिल नहीं लगता,आपके बिना, महफ़िल, महफ़िल नहीं लगता, भेजा है आपको खूबसूरत साथी बनाकर,वरना,रास्ता,रास्ता नहीं, मंजिल, मंजिल नहीं लगता।आपका हृदय से आभारी हूं। सादर नमस्कार।

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