कविता - मेरी बात सुना नहीं....
मैंने जुवा तास खेलने वालों से कहा
हे लोगों सचेत हो जाओ
जुवा तास खेल कर अपना
पैसा यूंही न बहाओ
जुवा तास खेलते रहोगे तो
ऐसा कबाड़ काम करोगे
एक दिन तुम लोग
अपना घर भी नीलाम करोगे
मगर उन्हों ने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं
मैंने फिर चोरों से कहा किसी के
घर चोरी करने न जाओ
खुद काम कर कर
पैसा कमा कर खाओ
हमेशा चोरी करते रहोगे तो
एक दिन पकड़े जाओगे
उस दिन पुलिस की तुम लोग
बहुत मार खाओगे
मगर उन्हों ने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं
मैंने फिर नेताओं से कहा तुम
लोग भ्रष्टचार न करो
रुपए पैसे सोने चांदी से
घर अपना मत भरो
ऐसा करते रहोगे तो तुम्हारे
शिर के ऊपर पाप चढ़ेगा
इतना देश को न लूटो
एक दिन मरना भी पड़ेगा
मगर उन्होंने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं
मैंने फिर बुरे लोगों से कहा
किसी का बुराई न करो
हमेशा तुम लोग हर
किसी का भलाई करो
भलाई करोगे तो
फल भी अच्छा पाओगे
बुराई करते रहोगे तो
मर कर नरक में ही आओगे
मगर उन्हों ने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




