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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता - मेरी बात सुना नहीं....

कविता - मेरी बात सुना नहीं....

मैंने जुवा तास खेलने वालों से कहा
हे लोगों सचेत हो जाओ
जुवा तास खेल कर अपना
पैसा यूंही न बहाओ

जुवा तास खेलते रहोगे तो
ऐसा कबाड़ काम करोगे
एक दिन तुम लोग
अपना घर भी नीलाम करोगे

मगर उन्हों ने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं

मैंने फिर चोरों से कहा किसी के
घर चोरी करने न जाओ
खुद काम कर कर
पैसा कमा कर खाओ

हमेशा चोरी करते रहोगे तो
एक दिन पकड़े जाओगे
उस दिन पुलिस की तुम लोग
बहुत मार खाओगे

मगर उन्हों ने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं

मैंने फिर नेताओं से कहा तुम
लोग भ्रष्टचार न करो
रुपए पैसे सोने चांदी से
घर अपना मत भरो

ऐसा करते रहोगे तो तुम्हारे
शिर के ऊपर पाप चढ़ेगा
इतना देश को न लूटो
एक दिन मरना भी पड़ेगा

मगर उन्होंने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं

मैंने फिर बुरे लोगों से कहा
किसी का बुराई न करो
हमेशा तुम लोग हर
किसी का भलाई करो

भलाई करोगे तो
फल भी अच्छा पाओगे
बुराई करते रहोगे तो
मर कर नरक में ही आओगे

मगर उन्हों ने माना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं
मेरी ये बात सुना नहीं.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna, shriman pranam sweekar karein, aapki baat nahi suni to pachtayenge, girenge kisi din munh ki khayenge

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार महोदय जी मेरी ये साधारण कविता को भी आप इतना महत्व के साथ प्राथमिकता देते हैं इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं धन्यवाद।

Sanjay Srivastva said

उत्कृष्ट रचना👌

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