जीने की सोच रहा हूं,
ख्यालों का पुतला हूं,
कुछ भी सोच लेता हूं।।
कागजों की तरह मुड़ गया हूं मैं,
फिर से वही बातों में उलझ नहीं सकता मैं।।
शब्द को बोलना तय करता है,
कि मजबूर कौन होगा,
कि मजबूत कौन होगा।।
सिर्फ तुम अपनी तरफ रहो,
मैं अपनी और से मिलूंगा।।
बातें करना जरूरी है,
सफ़र जिंदगी का है।।
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




