तुम से ही दोपहर शाम सबेरा है
तुम ना हो तो ये जग सारा अंधेरा है
तुम कितनी अच्छी नारी हो
सच में बहुत बहुत प्यारी हो
तुम मधुर मुस्कान हो
तुम तो मेरी जान हो
जब घर से निकलती हो
सड़क पर चलती हो
बहुत अच्छी दिखती हो
क्या खूब लगती हो
तुम मेरी शान हो
तुम तो मेरी जान हो
तुमें देख कर खा रहा पी रहा
तुम मेरे साथ हो तभी मैं जी रहा
तुम ही चांद और तारा हो
तुम ही मेरा सहारा हो
तुम ही कद्रदान हो
तुम तो मेरी जान हो
बुजुर्गों से छोटी हो
बच्चों से बड़ी हो
बहुत लिखी पढ़ी हो
चल रही घड़ी हो
सुंदर फुलझड़ी हो
तुम बुद्धिमान हो
तुम तो मेरी जान हो
मन स्वच्छ तन लाजबाव है
कितना अच्छा स्वभाव है
मिठास भरी आवाज है
तुमें पा कर नाज है
तुम मीठी पान हो
तुम तो मेरी जान हो
तुम तो मेरी जान हो.......
----नेत्र प्रसाद गौतम