कापीराइट गीत
नतमस्तक हो आज यहां तुम
हर शिक्षक का, सम्मान करो
इस युग के द्रोणाचार्य को तुम
अब झुककर के प्रणाम करो
पथ प्रदर्शक, होते हैं शिक्षक
हम, सब को, राह दिखाते हैं
अपने ज्ञान, और अनुभव से
हर मुशिकल को सुलझाते हैं
आगे बढ़ते हैं, इनके दम पर
इनका मिल के सम्मान करो
इस युग के - ------------
हमें ख्वाब दिखाते हैं शिक्षक
इस जीवन में नए उजालों के
ये काम नहीं है, इतना आसां
यह मेहनत है कई सालों की
अपने शिक्षक, के सम्मान में
तुम काम ये कोई महान करो
इस युग के --------------
महिलाओं से, बढ़ कर कोई
शिक्षक नहीं, और जमाने में
हम कैसे भूलें, फूलेबाई को
शिक्षा की अलख जगाने में
उनके अनुपम योगदान का
तुम, दिल से, सम्मान करो
इस युग के -------------
बिन शिक्षक के ज्ञान अधूरा
ये मंजिल कैसे मिल पाएगी
ये लिखते हैं भविष्य देश का
नई सोच कहां, मिल पाएगी
हमें, रोज नई, देते हैं प्रेरणा
सच्चे, दिल से, सलाम करो
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है