आहत मन हर कोई कवि हो सकता है
बस जिंदगी के लम्हों को शब्दों में पिरोना
आना चाहिए।
ज्ञान रूपी तरकस में तेरे शब्द रूपी वाणों की भरमार हो।
हर पल दिमाग तुम्हारा कर रहा कदम ताल हो ।
जीने की जिजीविष सीखने की कला होनी
चाहिए।
मन शांत दिल में शुकून हमेशा दिन रात होना चाहिए।
खुद से खुद की मुलाक़ात सवालात
संवाद होनी चाहिए।
यहां हर शब्द हरेक छोटी से छोटी वस्तु के
हज़ारों लाखों प्रहसन है
कौन कहां किधर सब शब्दों की हेरा फेरी एक जशन है।
हर आहत मन कवि हो सकता है
बस जीवन के सभी पलों को
अपनी लेखनी में समेटनी आनी चाहिए..
जिंदगी की पलो को शब्दों में पिरोना आना चाहिए..
लिखना आए या ना आये
पर कोशिश ज़रूर करनी चाहिए...
हिंदी के सम्मान में हर किसी को
कवि बनना चाहिए..
हिंदी के सम्मान में हर किसी की कवि बनना चाहिए..