इस अदालत में,
फ्री सुनवाई होती है।
झूठ नहीं चलता,
सच की जीत होती है।
न्यायाधीश हमेशा,
अपनी कुर्सी पर विराजमान रहते हैं।
अर्जी लगती है,
पर बहस नहीं होती है।
न्याय के लिए,
गुहार लगा रहा ऐ! विख्यात।
पापीयों का नाश कर,
दुखियों का उद्धार कर।
सुदर्शन चक्र चला दे,
बार-बार कब तक,
सौ तक गिनते रहोगे।
जघन्य कर रहे अपराध,
हैं हजारों के पार।
टूटने लगी है आस,
देर ना करो नंदलाल।
अंकी, इंकी,डंकी लाल,
फिर ना चलदें कोई नई चाल।