पुनर्जन्म झूठ है, सच तो यह है
कि हम अनंतकाल के लिए बिछड़ जायेगे
जिरह की आग में बेवजह झुलस जायेगे
और यह बिछड़ना समय से भी लंबा हो जाएगा
फिर तुम्हारी आँखें किसी और आकाश में चमकेंगी
और मेरी साँसें तुम्हारे नाम का शोक गाती होगी
सपना टूटेगा तब पता लगेगा
हम कहाँ और तुम कहाँ
धीरे-धीरे सब राख में बदल जाएगा
फिर कौन कहेगा और कौन सुनेगा
प्रेम अमर नहीं हो पाएगा, प्रिये
अमर हो पाएगा हमारा विरह।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद