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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लोगों के दिलों में हम खल रहे हैं

लोगों के दिलों में हम बहुत खल रहे हैं,
मगर हमारे सामने उनके शब्द नहीं निकल रहे हैं।

इधर - उधर बुराई करते हैं हमारी,
वो लोग हमसे इस तरह जल रहे हैं।

इतने खटक रहे हैं हम उनकी आँखों में,
कि हमे जीते जी नर्क में धकेल रहे हैं।

मेरा जज़्बा उन्हें भा नहीं रहा,
खुशियों से मेरी अंदर ही अंदर मर रहे हैं।

~रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Manju Sharma said

खुशियों से मेरी अंदर ही अंदर मर रहे हैं - behtreen

रीना कुमारी प्रजापत replied

Abhar apka

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah kya baat hai Adarneey Mam, Antarman ke bhavon ko sundar rachna ka roop diya hai... saadar Pranam 🙏🙏. Asha karta hu Aapka swasthya ab behtar hoga...

रीना कुमारी प्रजापत replied

Teh e dil se bahut bahut shukriya bhaiyya🙏🙏pranaam... Apaki pratikriya mere liye bahut mayane rakhati hai. isi tarah prarit karte rahe likhane ke liye.

सुभाष कुमार यादव said

क्या कहने, बेहतरीन रचना।🙏🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thank you sir 🙏

फ़िज़ा said

बहुत उम्दा बेहद लाजवाब, काफ़ी वक़्त गुज़रा आपको पढ़े हुए अब शुकुन मिला, 👌👌 पुस्तक के लिए आपको ढेरों शुभकमनाये

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका फ़िज़ा जी😊🙏

Jivani Sharma said

अति उत्तम

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

Lekhram Yadav said

बहुत ही सुन्दर और दमदार रचना, आपकी रचना पढ़कर मन झूम उठा और तन नृत्य करने लगा, आपको सुप्रभात सहित सादर दिल से सलाम.

रीना कुमारी प्रजापत replied

दिल की गहराइयों से बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🙏 प्रणाम

श्रेयसी said

बहुत सुंदर रचना जब किस्मत अपने साथ है तो जलने की क्या बात है ।🙌🙌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji shukriya 🙏😊

Updesh Kumar Shakyawar said

अति सुन्दर रचना 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी 🙏🙏 प्रणाम

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