सोचना समझना आ जाये,
माध्यम शिक्षा बने।
तर्क-वितर्क के बिना,
इंसान इंसान न बने।।
सेवा भाव जागृति हो,
इंसानियत की पहचान बने।
व्यक्तिव में निखार आए,
परख अच्छे बुरे की बने।।
पाखण्डी इंसान को 'उपदेश',
मुर्ख न बना सके।
तर्क-वितर्क सही हो,
और स्वीकार ने की क्षमता बने।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद