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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्या खूब है ज़िन्दगी

क्या कहने इस ज़िन्दगी के
पता नहीं ??
हमारे साथ खेलती है
या हमें खेल खिलाती है
जैसे ही एक सोच दी
अपनों के प्रति मन में विरक्ति लाने की
अगले ही पल
अनजानों से प्रीति कराने लगी
क्या खूब हैं इसके दाव पेच
न अनुभव से समझ आती है
न ही समझकर अनुभव की जा सकती है
ऐसी ज्योति का प्रकाश है
जिसके चाहने से ही हम रोशन हो सकते हैं
अन्यथा स्वयम् तो उसे हम छू भी नहीं सकते
यदि छू लिया तो सहन नहीं कर सकते ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

सुप्रिया साहू said

बहुत सुंदर रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद replied

🙏🙏प्रणाम सुप्रिया जी

पवन कुमार "क्षितिज" said

zindgi ka sach clear kar diya aapne ✍️👌

वन्दना सूद replied

सच तो सबको मालूम होता है ये कहिए यादों में आ गया 😊

Shiv Charan Dass said

वाह वाह वंदना जी आपने तो मर्म को छु लिया है.............बहुत खूब

वन्दना सूद replied

🙏🙏

श्रेयसी said

वाकई यही होता है क्या ख़ूब कहा आपने 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

जीवन की इस रहस्यमयी चाल पर आपकी यह रचना अद्भुत है। "जैसे ही एक सोच दी… अगले ही पल प्रीति कराने लगी" — यही द्वंद्व ही तो जीवन की असली खूबसूरती है। मन के अनुभवों को इतनी सहजता और गहराई से कह पाना हर किसी के बस की बात नहीं। शब्द नहीं, जैसे भाव बहते हों… सादर नमन इस आत्मदर्शन को 🙏✨

वन्दना सूद replied

🙏🙏शुक्रिया आपके कमेंट देने के अंदाज़ के लिए बहुत बढ़िया खूबी है आप में

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