हम उनसे प्यार बेपनाह करते हैं,
इसलिए उन्हें वक़्त बेशुमार देते हैं।
वो कद्र करते नहीं उस एहसास की,
और हमे फालतू समझ लेते हैं।
हम उनकी इज़्ज़त बहुत करते हैं,
इसलिए वक़्त, बेवक़्त, हर वक़्त
उनके साथ हो लेते हैं।
और वो हमारे इस साथ का मज़ाक बना,
हमे तुच्छ समझ नज़र अंदाज़ कर देते हैं।
हम उनकी फ़िक्र बहुत करते हैं,
इसलिए बार - बार ख़ैरियत पूछ लेते हैं।
वो हमारी इस फ़िक्र से बहुत चिढ़ते,
और हमे बेकार समझ कभी जवाब नहीं देते हैं।
🖋️🖋️ रीना कुमारी प्रजापत