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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दृष्टिकोण — अमित श्रीवास्तव

दृष्टिकोण से रंग बदलते हैं,
सूखे मन भी तरल बहलते हैं।
एक नजर में दोष नज़र आए,
दूजी में वो गुण भी पलते हैं।

आंधी में कुछ टूट भी जाते,
कुछ दीपक फिर भी जलते हैं।
जीवन है बस सोच का दर्पण,
जैसे भावों से स्वर निकलते हैं।

जो रोये, वो दुख में डूबा नहीं,
हँसे जो, वो सुख में छलते हैं।
हर पत्थर राह का रोड़ा हो —
ज़रूरी तो नहीं, फूल भी खिलते हैं।

कौन सही है, कौन ग़लत —
सब नज़रों से ही चलते हैं।
पर जो बदले दृष्टिकोण थोड़ा,
वो जीवन को नये ढंग से ढलते हैं।

— अमित श्रीवास्तव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Pallavi Srivastava said

अति सुन्दर रचना 👍

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

Devendra Kumar Prajapati said

आंधी में कुछ टूट भी जाते, कुछ दीपक फिर भी जलते हैं - अति सुन्दर

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

दृष्टिकोण से रंग बदलते हैं, सूखे मन भी तरल बहलते हैं। एक नजर में दोष नज़र आए, दूजी में वो गुण भी पलते हैं Bahut khoob Adarneey

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। वाह!👌👌👌

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Amit Shrivastav replied

Dhanywaad 🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत सुंदर रचना

Amit Shrivastav replied

Aabhaar mahoday

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