कापीराइट गजल
गजल - आहिस्ता – आहिस्ता
अपनी सांसें सिमट रही हैं आहिस्ता-आहिस्ता
यह, जिन्दगी गुजर रही है आहिस्ता- आहिस्ता
आ जाओ, तुम कहाँ हो अय मेरे हम सफर
अब यह लम्हें गुजर रहे हैं आहिस्ता–आहिस्ता
अपनी ये जिन्दगी है अब इन लहरों की तरह
क्यूं ये लहरें सिमट रही हैं आहिस्ता-आहिस्ता
तुम्हें देना चाहते हैं हम, अपनी ये हर खुशी
न गुजर जाए ये जिन्दगी आहिस्ता–आहिस्ता
ये हवाएं ये घटनाएं और ये मौसम ये जवानी
यह जा रहे हैं खिसक कर आहिस्ता-आहिस्ता
बेवजह ही शक करने की आदत नहीं मेरी
क्यूं ये दूरियां बढ़ रही हैं आहिस्ता-आहिस्ता
अब क्या होगा हमारा जो तुम आए ना यादव
मगर खो रहा है ये यकीन आहिस्ता-आहिस्ता
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है