New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

शादी का सच: एक गहरी पड़ताल

शादी, जो कभी आत्माओं का संगम थी,
आज बन गई है एक मोल-भाव की प्रथा।
जहां रिश्ते निखरते थे विश्वास के रंग में,
अब दबे लहजों में सौदे तय होते हैं सभा।

दूल्हा नहीं, जैसे एक वस्तु हो बाजार की,
मूल्यांकन होता है उसकी तनख्वाह का।
क्या कमाता है, कहां रहता है,
शादी के मंडप पर तोल होता है हर चाह का।

दुल्हन से सवाल है उसकी सुंदरता का,
गोरी हो, पतली हो, कम बोलने वाली हो।
पढ़ाई भी हो, लेकिन इतनी नहीं,
कि उसकी आवाज़ समाज को चुभने वाली हो।

घरवालों के बीच समझौते होते हैं,
"हम देंगे इतना, आप इतना लाएंगे।"
दहेज के नाम पर चलती है गुप्त भाषा,
जहां रिश्तों का मोल कागजों पर लिखाएंगे।

क्या यह शादी, प्रेम का प्रतीक है?
या समाज की प्रथा का बस एक बोझ?
जहां हंसी के पीछे छिपी है घुटन,
और रिश्तों में तैरती है छल की धार।

क्या सच में शादी जरूरी है?
जब रिश्तों का आधार सिर्फ धन हो?
जब दुल्हन की आवाज़ दबा दी जाए,
और दूल्हे की कीमत गिनी जाए।

रिश्ते, जो दिल के करीब होते थे,
अब बन गए हैं व्यापार की तरह।
जहां प्यार की जगह ले ली है स्वार्थ ने,
और संस्कार की जगह चलती है मुनाफ़ा।

शादी का मतलब खो चुका है,
वो अब सिर्फ जिम्मेदारी बन गया है।
सपनों का दमन, आज़ादी की बलि,
क्या यही जीवन का आधार बन गया है?

सोचो, क्या यह सच में जीवनसाथी का चयन है?
या समाज की बनाई हुई एक मजबूरी है?
क्या यह रिश्ता टिकेगा वहां,
जहां प्रेम नहीं, केवल औपचारिकता हो?

शादी तभी सार्थक होगी,
जब यह दो आत्माओं का मेल हो।
जहां प्यार की भाषा बोले रिश्ते,
और दिल से दिल का संवाद हो।

हमें इस समाज का आईना बदलना होगा,
जहां रिश्ते व्यापार नहीं, बंधन बनें।
जहां शादी हो खुशी का प्रतीक,
ना कि दहेज और दिखावे का खेल।

- शारदा गुप्ता




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Amit Shrivastav said

शब्दों में समाज की सच्चाई का आईना...आपकी कविता एक गहरी सामाजिक समीक्षा है, और आपने जिस संवेदनशीलता और स्पष्टता से "शादी" जैसे पवित्र रिश्ते की आज की वास्तविकता को उजागर किया है, वह बेहद प्रभावशाली है.

Shiv Charan Dass said

अफ़सोस यही तो आजकल की आधुनिकता का शाप है. ...बहुत खूब

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

हमें इस समाज का आईना बदलना होगा, जहां रिश्ते व्यापार नहीं, बंधन बनें। जहां शादी हो खुशी का प्रतीक, ना कि दहेज और दिखावे का खेल Sarthak panktiyan anmol Rachna...Sadar Pranam Adarneey Mam 🙏🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं

लिखन्तु - ऑफिसियल

निहारा - Dr. Mulla

Apr 16, 2024 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  | 👁 23,881



लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन