हम जगे रह गये याद करके उन्हें,
रात होते ही स्विच ऑफ वो कर गये !!
हमने ढेरों किये काल पे काल पर,
सुबह होते बहाने वो सौ बक दिये !!
आईना देर तक मुझको घूरता रहा,
साँझ होते ही तकिये से वो लिपट गये !!
हाल यारो गज़ब है दीवानों का यहाँ,
खिड़कियों पे वो परदे कई कस दिये !!
उललू भी रात भर मुझको तकता रहा,
सुबह होते ही वो चौकड़ी भर गये !!
ऐसी भी होगी क्या जादू औरत में जो,
बिन अकल के कमाल पल में ये कर गये !!
अक्ल पाकर बहुत खुश थे हम देवों से,
पल में ही वो हमें लूटकर ले गये !!
वेदव्यास मिश्र की इन्तज़ार 😍 भरी कलम से...
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




