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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हम जगे रह गये - 😍वेदव्यास मिश्र

हम जगे रह गये याद करके उन्हें,
रात होते ही स्विच ऑफ वो कर गये !!
हमने ढेरों किये काल पे काल पर,
सुबह होते बहाने वो सौ बक दिये !!

आईना देर तक मुझको घूरता रहा,
साँझ होते ही तकिये से वो लिपट गये !!
हाल यारो गज़ब है दीवानों का यहाँ,
खिड़कियों पे वो परदे कई कस दिये !!
उललू भी रात भर मुझको तकता रहा,
सुबह होते ही वो चौकड़ी भर गये !!

ऐसी भी होगी क्या जादू औरत में जो,
बिन अकल के कमाल पल में ये कर गये !!
अक्ल पाकर बहुत खुश थे हम देवों से,
पल में ही वो हमें लूटकर ले गये !!

वेदव्यास मिश्र की इन्तज़ार 😍 भरी कलम से...


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

Vineet Garg said

उललू भी रात भर मुझको तकता रहा, सुबह होते ही वो चौकड़ी भर गये !! Bahut khoob 👌👌

सुभाष कुमार यादव said

👌👌👌

वेदव्यास मिश्र said

Vineet Garg जी, पुन: स्वागत आभार आपका !! 🙏😍😍🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव सर जी, बहुत-बहुत नमस्कार आपको !! बहुत खुशी हुई आपसे इस पटल पर पुन: मिलकर !! 🙏⭐⭐🙏

कमलकांत घिरी said

वाह वाह क्या खूब लिखे है सर जी मजा आ गया, 👏 ऐसी भी होगी क्या जादू औरत में जो, बिन अकल के कमाल पल में ये कर गये !! बहुत मस्त😅🙌👏✍️

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत जी, बहुत-बहुत स्वागत आपका भाई साहब..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया ने लबालब कर दिया है मुझे उत्साह से !! 💝नमस्कार 💝

Updesh Kumar Shakyawar said

Wah.. beautiful poetry

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Adarneey Acharya Ji Sadar Pranam🙏🙏 Waah kya adhbhut likha hai👌👌🙏🙏 Line by Line bahut sundar likha hai mano jese koi sangeetmayi geet hai.

वेदव्यास मिश्र said

Updesh Kumar Shakyawar जी, शुक्रिया आभार भाई साहब..हृदय की बगिया में स्वागत आपका 💝💝

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, शुभाशीष नमन हृदयप्रिय...आपकी खुशनुमा प्रतिक्रिया पाकर तन-मन सब झूम उठा !! आशा है,आप स्वस्थ होंगे !! यहाँ बाकी सब ठीक है !! पुन: हृदयाशीष 💝💝

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