ग्रन्थों की वाणी
अपने कर्म को हर पल परखना
अच्छाई और बुराई कैसा किया कर्म
हर क्षण तुम्हें है जानना
कसौटी एक ही है ऐसी
कि मर जाऊँ अगर इसी पल
तो किस गिनती में आएगा यह कर्म
हो जाए यदि कोई भूल
तो तत्काल सुधार लेना
कल का सोच कर मूर्खता नहीं करना
समय कभी कभी कल का समय नहीं देता
यही ग्रन्थों की वाणी है ..
-वन्दना सूद