अधूरे सपनों का कहाँ कोई सहारा।
प्यार रोता रहा और उसने ना पुकारा।।
तुम्हारे मुताबिक दुनिया चले तो कैसे।
आवारगी पसन्द दिल लगता तुम्हारा।।
मौसम का दोष नही हवाएँ बेकसूर है।
बादलो का झुंड मंडराते लगे कुंवारा।।
हौंसले तोड़ते नही दम इस तरह मेरे।
शायद मैं ही तकदीर से हर बार हारा।।
जबाव किसी के पास है नही फिर भी।
इंतजार कितना करे 'उपदेश' तुम्हारा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद