कितना और गिरना बाक़ी रह गया है तुम्हारा
मेरी नज़रों में,
गिर - गिर बहुत तो गिर गई हो
और कितना गिरोगी तुम ?
शर्म को भी शर्म आ जाए लफ़्ज़ ऐसा इस्तेमाल
किया आज तुमने मेरे लिए,
बताओ ; मेरे लिए और कितने ऐसे शब्द ज़ुबां पर
लाओगी तुम।
मेरे साथ जो किया सो किया पर तेरे हमदर्द को
भी तो तूने प्यार नहीं किया ,
जब उससे ही वफ़ा ना की तो फिर किससे
वफ़ा करोगी तुम।
झूठ बोल - बोल रिश्तों में अमिट दरारें बना दी
तुमने,
बताओ ; और कितने ऐसे झूठ बोल अपनी
नीचता का परिचय दोगी तुम।
"""""रीना कुमारी प्रजापत 🖋️🖋️