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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

और कितना गिरोगी?

कितना और गिरना बाक़ी रह गया है तुम्हारा
मेरी नज़रों में,
गिर - गिर बहुत तो गिर गई हो
और कितना गिरोगी तुम ?
शर्म को भी शर्म आ जाए लफ़्ज़ ऐसा इस्तेमाल
किया आज तुमने मेरे लिए,
बताओ ; मेरे लिए और कितने ऐसे शब्द ज़ुबां पर
लाओगी तुम।

मेरे साथ जो किया सो किया पर तेरे हमदर्द को
भी तो तूने प्यार नहीं किया ,
जब उससे ही वफ़ा ना की तो फिर किससे
वफ़ा करोगी तुम।
झूठ बोल - बोल रिश्तों में अमिट दरारें बना दी
तुमने,
बताओ ; और कितने ऐसे झूठ बोल अपनी
नीचता का परिचय दोगी तुम।

"""""रीना कुमारी प्रजापत 🖋️🖋️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Shiv Charan Dass said

बहुत तीखी रचना वाह

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji sir ji bahut tikhi hai par usase bhi tikha wo shabd tha jo usane mere liye istemaal kiya tha.....aap meri rachna ko samjhe dil se dhanyawad apka🙏 प्रणाम

सुभाष कुमार यादव said

शर्म को भी शर्म आ जाए... बहुत गहरी बात।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji ye haqiqat hai.... Shukriya

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, कुछ दिनों से आप दिख नहीं रही थी सब ठीक ठाक है न 🤔, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku dear🙏ha kuch dino se bahut pareshan thi. Jisase main mentaly and Physicaly bahut thaki Hui thi Dhyan sirf usi par atka tha...par ab sab thik hai.... pranaam 🙏

श्रेयसी said

वाह झकझोर देने वाली रचना 👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji shukriya 🙏😊

Amit Shrivastav said

कितना और गिरना बाक़ी रह गया है तुम्हारा - यह अभिव्यक्ति इतनी गहराई लिए हुए है कि मन कुछ क्षणों के लिए निर्वाक् हो जाता है — जैसे शब्द भी इसकी गूंज के आगे थम से जाएं।

रीना कुमारी प्रजापत replied

आपने मेरी रचना की गहराई को समझा इसके लिए दिल से आभार आपका 🙏🙏

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