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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ज़िंदगी के इम्तिहान

ज़िंदगी ने इम्तिहान बड़े सख़्त लिए हैं,
जाने क्यों हर वक्त लिए हैं।

अहज़ान तुने तोहफ़े में दिए मुझे,
इम्तिहान कभी लेने ना छोड़े तुने।

इम्तिहान ले रही थी तू,
इम्तिहान ले रही है तू।

बड़ी बेदर्दी है तू ,
दर्द पर दर्द दिए जा रही है तू।

अभी एक बड़े इम्तिहान से गुजरे ही थे कि
जो हम संभले सुहाया नहीं तुझे,
और डाल दिए झोली में मेरे इम्तिहानो के
अनगिनत थैले।

क्या मुझसे हैं तेरा कोई बैर,
जो मुझे दगा दे रही है तू।

इम्तिहानो के इस दौर में इम्तिहानो पर
इम्तिहान ले रही है तू।

~रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

मुझे समझ नहीं आता यदि मनुष्य के पास किसी की तारीफ करने के लिए शब्द ना बचें तब उसको क्या करना चाहिए - इसलिए अज्ञानतावस यही कह पा रहा हूँ कि माँ सरस्वती आपको इसी तरह लिखते रहने की कृपा सदैव बनाये रखें - बहुत सुन्दर शब्दों का प्रयोग!!

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया

वन्दना सूद said

इम्तिहानो के इस दौर में इम्तिहानो पर इम्तिहान ले रही है तू।Very nice ma’am 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much vandna ji

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