ज़िंदगी ने इम्तिहान बड़े सख़्त लिए हैं,
जाने क्यों हर वक्त लिए हैं।
अहज़ान तुने तोहफ़े में दिए मुझे,
इम्तिहान कभी लेने ना छोड़े तुने।
इम्तिहान ले रही थी तू,
इम्तिहान ले रही है तू।
बड़ी बेदर्दी है तू ,
दर्द पर दर्द दिए जा रही है तू।
अभी एक बड़े इम्तिहान से गुजरे ही थे कि
जो हम संभले सुहाया नहीं तुझे,
और डाल दिए झोली में मेरे इम्तिहानो के
अनगिनत थैले।
क्या मुझसे हैं तेरा कोई बैर,
जो मुझे दगा दे रही है तू।
इम्तिहानो के इस दौर में इम्तिहानो पर
इम्तिहान ले रही है तू।
~रीना कुमारी प्रजापत