इस सेल्फ़ी के ज़माने में
सोचा कि चलो अपने भी
एक सेल्फ़ी ले ही लेते हैं,
चेहरे को बिना पुते
बिना संवारे हमने अपने
आपको खास कोण में
स्थापित कर लिया..
लैंस को पैनोरमा मोड
में सैट कर कर तैयार हो गए,
आख़िर दुनिया के साथ
लेनी थी हमने वो सेल्फ़ी..
बमुश्किल हमने सबको साधा
किसी तरह, ये आसान कहां था,
और आख़िर हमने वहीं चिर परिचित
डायलॉग दोहराया..
"स्माइल"
और मैं क्या देखता हूं कि
कुछ ही चेहरे ज़रा सी मुस्कान
धारण किए थे,
बाकी सभी ने
अपने माथे पर अंगुलियों से
बना रखे थे सैकड़ों नुकीले सींग...
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




