भ्रष्टाचार की राह पर चला,
टेढ़ी-मेढ़ी रेखा।
त्रुटिपूर्ण कदम जो थमा गए,
रिश्वत का झोला।
भ्रष्टाचार का कम्पास घूम गया।
रिश्वतखोर की दृष्टि अंधी हो गई।
नोटों के कोहरे में खो गया।
एक सौम्य धक्का, एक फुसफुसाता हुआ ।
शब्द न्याय।
एक रोशनी जिसने धुँधली हवा को भेद दिया।
रिश्वत की आंधी में न्याय खो गया।