बचपन
आता सावन झूम के
बचपन की याद दिलाता है
टिप टिप कर बरसती बूँदें
मन मल्हार गाता है
छप छप कर आऊँ पानी मे
जी मेरा ललचाता है
इक नैया मै भी तैराऊँ लबालब
भर आया जो नाला है
पर रुक जाते है पाँव मेरे
बचपन कब लौट कर
आया है
✍🏻#अर्पिता पांडेय