धमकी दे कर क्या कर लोगे,
मैं अब ख़ुद की हूँ — अब क्या छल लोगे?
मैं क्लास वन की अफ़सर हूँ — तुम्हारी छाया नहीं,
तुम्हारे नाम से जियूँ? अब वो माया नहीं।
मुझे डराना है तो और हथियार ले आओ,
तुम्हारे शब्द अब मेरी नींद नहीं उड़ाते — टूट जाओ।
मुझे प्रेम कहते-कहते तिरस्कार दे दिया,
मेरे होने की ऊँचाई से ही शायद दर्द हो गया।
जो लड़की तुमसे अधिक जानती थी चाहना,
अब खुद से प्रेम कर बैठी — ये उसकी साधना।
तो जाओ —
जिस दुनिया की बात कर के डराते हो,
मैं उसे जीत चुकी हूँ,
अब तुम्हें हारते देखना बाकी है।