जीवन में इक हादसा ऐसा भी होता है,
पत्नी होती है जवान पति बूढ़ाता जाता है।
देखते ही देखते ये होता जाता है,
अच्छा खासा पति सठियाता जाता है ।
नहीं जी नहीं करो ये यकीं पति मैं वो नहीं,
मैं तो लिख भी लेता पर वो कहाँ लिख पाता है ।
उमर देखके नई पड़ोसन दिल को भाती है,
चाय-वाय से बात कहाँ आगे बढ़ पाता है !
अक्सर बारिश में मेंढक टर्राता ज्यादा है,
बाकी महीने सोके भले वो वक़्त बिताता है।
----वेदव्यास मिश्र
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