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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दादा-दादी,नाना-नानी का दौर

पीढ़ी दर पीढ़ी बदलती रहतीं हैं
मनोरंजन के साधन बदलते रहते हैं
पर सबसे ख़ास दौर तो हुआ करता था
दादा-दादी और नाना-नानी का
उम्र बेशक ख़त्म हो जाएगी
पर यादें नहीं
और न ही ख़त्म होंगे
उनके साथ बिताए पल
आज छोटे छोटे बच्चों को
उनके दादाजी के साथ खेलते देखा
तो इतने समय बाद
हमें भी वो दिन याद आ गए..

हमारा अपने दादाजी से
कृष्ण-सुदामा की कहानी सुनना
सुबह सवेरे उनके साथ
सैर पर जाने का शौक होना
पर उनकी रफ़्तार से
अपने कदम न मिला पाना
उनके आस-पास बैठकर
किसी ने हाथ किसी ने पैर
और किसी ने सिर दबाते रहना
बड़े से बर्तन में खीर बनवाना
और सब बच्चों का एक साथ
उसी बर्तन में चम्मच घुमाना
नए दौर ने उम्र से पहले ही
हमारे बच्चे बड़े कर दिए
और हम बड़ों ने उन्हें
मनोरंजन की अलग दुनिया देकर
उनके जीवन की
खूबसूरत कहानियाँ ख़त्म कर दीं..
वन्दना सूद


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बस, मीठी यादें रह गयीं है।वो खूबसूरत लम्हें,अब शायद भविष्य में कभी नहीं मिलेगी। टीवी, मोबाइल का दौर है।अब करें तो क्या करें।

वन्दना सूद replied

बहुत सही कहा sir आपने
आज का दौर हकीकत से बहुत दूर है

सुभाष कुमार यादव said

👌👌

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत घङी से गुजर रही हो तभी तो हर रोज निखर रही हो, बहुत खूब, बहुत सुंदर सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

श्रेयसी said

मैं भी अतीत में खो गई बहुत सुंदर रचना 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊यह दौर ही ऐसा होता है

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