थोड़ी बात समझ जाओ
कचर पचार मत खाओ
मन में जरा लिया करो
पानी खूब पिया करो
गर्मी है रे गर्मी है.......
इधर उधर चलना है
अगर बाहर निकलना है
ध्यान दे कर चला करो
सुबह शाम ही निकला करो
गर्मी है रे गर्मी है.......
अगर बाहर दोपहर में निकलोगे
बेवजह कड़ी धूप में चलोगे
गरम हवा "लू" लग सकता है
आदमी ढह भी सकता है
गर्मी है रे गर्मी है.......
ये गर्मी में सावधान हो जाओ
जरा खुद बांचो और दूसरों को भी बचाओ
जरा जब तक गर्मी है संभल संभल चला करो
सुबह शाम ही घर से जरा निकला करो
सुबह शाम ही घर से जरा निकला करो.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




