सावन की रातें
प्यार भरी बातें करतीं हैं,
सावन की रातें।
काली बदली छाई,मस्तानी रुत आई,
पुरवा की डोली में,बरखा रानी आई।
बादल की दुल्हन लगतीं हैं,
सावन की रातें।
भीगा भीगा मौसम,भीगा तन,मन,यौवन,
भीगी भीगी सीं हैं,भीगे दिल की धड़कन।
ख्वाबों को गीले करतीं हैं,
सावन की रातें।
सूरज,चांद,सितारे,बौंछारों के मारे,
मेघों की नगरी में, छुप जाते ये सारे।
बूंदों की झालर लगतीं हैं,
सावन की रातें।
रात मिलन की आई,मस्त फुहारें लाई,
सोलहवे सावन ने,तन में ली अंगड़ाई।
बूंदों से छेड़ा करतीं हैं,
सावन की रातें।
गीत बहारों के गातीं हैं
सावन की रातें।
अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश।