काले नाग समाज के ज़हर,
फैलाते विष, मचाते शोर।
दिलों में डर,
मन में अंधेरा।
बनाते जीवन को बेकार,
छल कपट का जाल बिछाते।
विश्वास को धोखा देते,
समाज में बीमारी फैलाते।
नफरत की आग जलाते,
अच्छाई को कुचलते।
बुराई को बढ़ाते,
सत्य को दबाते।
झूठ को फैलाते,
अंधकार के पुजारी।
शैतान के सेवक,
नष्ट करते सब कुछ, बेखबर।