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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं अपनी हथेली में जलती स्त्री हूँ”

मैं अपनी हथेली में जलती स्त्री हूँ —
जिसकी रेखाएँ अंगार हैं,
और लकीरों में बसी है
एक ख़ामोश आग की कथा।

मुझे ईश्वर ने नहीं रचा —
मुझे मेरे ही टूटने ने गढ़ा।
हर बार जब मैंने
ख़ुद को छोड़ा किसी के लिए,
एक नया जन्म हो गया —
लेकिन उसी देह में।

मेरे हाथों में प्रेम नहीं लिखा —
वहाँ सिर्फ़ एक छाया है —
जो बार-बार लौटती है
और पूछती है —
“क्या अब भी तुझमें बचा है समर्पण?”

मैंने चाहा —
कि एक बार कोई
मेरे मन के भीतर की चुप्पी को पढ़ ले,
लेकिन सबने सिर्फ़ मेरी मुस्कान से
अपना उत्तर बना लिया।

मेरे चंद्र पर्वत पर नहीं हैं
सुख के सपने —
वहाँ तो एक स्त्री बैठी है,
जो रातों को
अपने ही गर्भ से प्रश्न पूछती है —
“क्या मैं कभी माँ थी?”

हर बार जब मैंने ईश्वर को पुकारा —
उसने मेरी हथेली चूम ली,
और कहा —
“तू स्वयं वह अग्नि है
जिसमें मेरी छाया निवास करती है…”



शारदा




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह बहुत सुंदर कविता, एक स्त्री की महानता का मार्मिक चित्रण । शब्दों का सुंदर संयोजन। कवियत्री महादेवी वर्मा की झलक।.…. सुप्रभात!

Shiv Charan Dass said

बहुत मार्मिक बहुत सुन्दर

Lekhram Yadav said

हृदय स्पर्श करने वाली रचना, आपको सादर नमस्कार

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