कभी जो फिसल जाऊँ,
कभी जो मैं लड़खड़ाऊँ,
थामें रखना हाथ मेरा,
कभी जो मैं डगमगाऊँ,
मिला के कदम साथ चलें,
थाम कर हम, हाथ चलें,
हर कदम हम, साथ चलें।
कभी जो थक जाओ तो,
मैं बनूँ! तुम्हारा सहारा,
हो महसूस जब तन्हाई,
याद रखना मैं हूँ तुम्हारा,
मेरे हमदम हम साथ चलें,
थाम कर हम, हाथ चलें,
हर कदम हम, साथ चलें।
मुझे मुझमें यकीं दिलाया,
मेरा संसार सुंदर बनाया,
जीवन के हर सुख-दुख में,
हर पल मेरा साथ निभाया,
यूँ ही हरदम हम साथ चलें,
थाम कर हम, हाथ चलें,
हर कदम हम, साथ चलें।
🖊️सुभाष कुमार यादव