होता कहाँ है मिलना मिलाना दिल-जला से।
रह-रह कर तड़पता होगा उठते ज़लज़ला से।।
उसका जिक्र मुझको अब भी सर्द कर जाता।
तकलीफ़ दिन को नही रात रोती फ़ासला से।।
नही चाहता वो, ये दिल हरगिज मानता नही।
बे-मुरव्वत होकर बच न पाई उसकी कला से।।
भुलाना जितना चाहती उलझती उतनी जाती।
ख्वाबों में ज़बरदस्ती करते देखा काफ़िला से।।
अपनी शर्तों में फंसकर रह गया होगा 'उपदेश'।
फिर भी दिल बेताब रहता नामुराद अलबेला से।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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