बात कर रही अमन चमन की।
ध्यान में रखकर वही मगन की।।
रंग उभरते अनगिनत ध्यान में।
बिगडे तबियत अनछुए मन की।।
हर मंज़र में हम तुम होते दोनो।
आन बसे हो कहानी अमन की।।
इश्क मोहब्बत ख्वाब में करती।
बाते उठ रही 'उपदेश' गगन की।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद