कापीराइट गजल
हर, जगह राह में मैं, रूकने लगा हूं
सम्भालो मुझे अब मैं गिरने लगा हूं
अब ये सांसे मेरी, चल रही हैं मगर
आह की आग में मैं, जलने लगा हूं
काम मुझसे कोई अब होता नहीं है
उम्र, के साथ अब मैं, ढ़लने लगा हूं
खरा तेरी बातों पर न उतर पाऊंगा
यूं रोग के साये में, मैं चलने लगा हूं
बैग यह भारी और सब्जी का थैला
इन के बोझ से अब, थकने लगा हूं
ये बोझ इतना नहीं, मैं सह पाऊंगा
हर, पल हर घड़ी मैं, थकने लगा हूं
न बरतो मुझे तुम, अब यूं इस तरह
काम, के बोझ से, मैं थकने लगा हूं
जरा सोचिए, क्या सही क्या गलत
क्यूं गमे जिन्दगी अब जीने लगा हूं
ये जिन्दगी तो गुजर जाएगी यादव
क्यूं ऐसे हालात से, गुजरने लगा हूं
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




