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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

समाज को एक आईना दिखाती हुई एक गजल। थकने लगा हूं

कापीराइट गजल

हर, जगह राह में मैं, रूकने लगा हूं
सम्भालो मुझे अब मैं गिरने लगा हूं

अब ये सांसे मेरी, चल रही हैं मगर
आह की आग में मैं, जलने लगा हूं

काम मुझसे कोई अब होता नहीं है
उम्र, के साथ अब मैं, ढ़लने लगा हूं

खरा तेरी बातों पर न उतर पाऊंगा
यूं रोग के साये में, मैं चलने लगा हूं

बैग यह भारी और सब्जी का थैला
इन के बोझ से अब, थकने लगा हूं

ये बोझ इतना नहीं, मैं सह पाऊंगा
हर, पल हर घड़ी मैं, थकने लगा हूं

न बरतो मुझे तुम, अब यूं इस तरह
काम, के बोझ से, मैं थकने लगा हूं

जरा सोचिए, क्या सही क्या गलत
क्यूं गमे जिन्दगी अब जीने लगा हूं

ये जिन्दगी तो गुजर जाएगी यादव
क्यूं ऐसे हालात से, गुजरने लगा हूं


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

🙏 प्रणाम, बहुत बहुत बढ़िया दुनिया की हक़ीक़त बयां करती आपकी रचना

Lekhram Yadav replied

नमस्कार मेरी प्यारी बहना। आपेरा हार्दिक धन्यवाद स्वीकार कीजिए।

Yachana Agrwal🙈🙉🙊 said

Bahut sundar rachna.. dunia ko ek aaina dikhti hui rachna. Agr koi ise smjh le to baut kuch thik ho jayega.

Lekhram Yadav replied

याचना अग्रवाल जी स्वागत है आपका मेरी इस छोटी सी दुनियां में। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

Suhani Rajput said

Bahut khoob . Itni badi baat itne pyare dhang se samne rkhi ha. Kmaal kr dia.

Lekhram Yadav replied

सुहानी जी आपको धन्यवाद सहित नमस्कार। आपका स्वागत है मेरी गजलों की छोटी सी दुनियां में। आपने इतनी बड़ी बात कह कर मुझे शर्मिन्दा कर दिया, लेकिन इसके साथ-साथ मुझे प्रेरणा देकर आगे बढ़ने का एक अवसर और रास्ता दोनों का मार्ग भी दिखला दिया। आप मेरी तरफ से एक सैल्यूट दिल से स्वीकार कीजिए।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam yadav Sir, Bahut sundar ghazal, wastav m samaaj ke liye ek aisne ka kaam kar rahi hai.

Lekhram Yadav replied

सर जी नमस्कार। आप ने आशिर्वाद दे दिया तो मन खुशी से झूम उठा।आपको हार्दिक सलाम।

ताज मोहम्मद said

वाह भाई जी आपकी ये ग़ज़ल दिल में उतर गई। इसकी खूबसूरती मैं अल्फाजों में बयां नहीं कर सकता और अल्फाज़ भी नही है मेरे पास। बहुत ही शानदार लिखा आपने भाई जी।

Lekhram Yadav replied

नमस्कार ताज भाई। आपकी सराहना मेरे लिए आक्सीजन का काम कर रही है। आपको हार्दिक धन्यवाद।

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