कलयुग आवत बाटे सुननी,
कल्कि के अवतार में,
सभके रंग आऊ ढंग बदलके,
दुनिया के रफ्तार में।
धन-दौलत के भुखल मानुष,
बिसरल मान-प्रतिष्ठा हो,
खून के रिश्ता हो गईले अब,
पानी से भी सस्ता हो,
नेह प्रीत के दीया-बाती,
बुत गईल बहत बयार में।
कलयुग आवत बाटे सुननी,……….
भाई-भाई केतना खुश बड़ुए,
देख८ इन्हकर ठाट हो,
स्वर्ग सिधरलें बाबूजी जब,
घर अंगना के बाँट हो,
बुढ़ महतारी खाट पकड़ले,
हलफत रहल बोखार में।
कलयुग आवत बाटे सुननी,……….
लोकलाज जन-जन बिसरवलें,
मन से शिष्टाचार गईल,
सोशल मीडिया के धुन सबके,
अईसन सिर सवार भईल,
कल के ढुकल नवकी बहुरिया,
देखनी नाचत बार में।
कलयुग आवत बाटे सुननी,……….
आहट सुन ल८ युग के कईसन,
रिश्ता तारे-तार भईल,
BF संग भागे दुलहिनियाँ,
दमदु ले सास फरार भईल,
नैतिकता के इज्जत उतरल,
सगरे भरल बाजार में।
कलयुग आवत बाटे सुननी,……….
फर्ज निभावें पशु प्रेमी अब,
मुरगी-बकरी पाल के,
चारा डालत गऊ के देखनी,
बगना-जोरी डाल के,
पर, भर अँकवारी सुते बिलाई,
घुमे कुतवा थार में।
कलयुग आवत बाटे सुननी,……….
मिथक लागे ई बतिया कि,
होई वही जो राम करे,
कोढ़ियन खुद स्मार्ट बनत हैं,
Al सब काम करे,
लीलाधर के लीला देखनी,
अजबे ई संसार में।
कलयुग आवत बाटे सुननी,……….
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प्रमोद कुमार,
गढ़वा (झारखण्ड)