रोटी~
रोटी से बड़ा नही कुछ है ,
रोटी ही जीवन सचमुच है।
रोटी से दुनिया संचालित,
यह जहां सुलभ है सबकुछ है।
रोटी सोने से बड़ी चीज़ ,
है जठर - छुधा हरने वाली।
यह औषधि है जीवन रक्षक,
पीड़ाओं से लड़ने वाली ।
रोटी परिणाम परिश्रम की,
कर-बल से इसमें स्वाद भरे।
जब चले धरा पर हल-कुदाल ,
आ रोटी सब अवसाद हरे।
रोटी चंदा है सूरज है,
भूखों के मुख यह सुना गया।
जब-तब जो आती लाचारी ,
सबसे कहा और गुना गया ।
रोटी का टूकड़ा थाली में,
ना छोड़ें ना बर्बाद करें।
उतना ही लें जो खा जायें,
अपना जीवन आबाद करें।
-प्यासा