जिसकी इज़्ज़त का मान रखने के लिए
हम झुक गए थे,
उसी ने हमे बे - इज़्ज़त कर दिया।
और मेरी ज़ुबां पर हर वक्त जिसका नाम रहता था,
आज उसी ने हमे बदनाम कर दिया।
बचपन से जवानी तक खुद से किया वादा
निभाते रहे हम,
आज उसके लिए वो वादा तोड़ने को राज़ी थे हम।
पर वो तो बड़ा ही कमबख़्त निकला,
मेरे लिए कुछ ग़ैर अपनों से नाता ना तोड़ सका।
ख़ैर मेरा वादा टूटते - टूटते बच गया,
क्योंकि वो अब मेरा ना रहा।
अच्छा ही हुआ जो वो मेरा बन ना सका,
वरना मेरा खुद से किया वादा टूट जाता था ।
अब वो अपनी ज़िंदगी में खुश है,
और हम अपनी ज़िंदगी में खुश हैं।
पर ये तो तय है ही
कि हम तन्हाई में भी उससे ज़्यादा खुश है।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 🖋️