हिचकियां चल रही है तुम्हें,
हम याद जो कर रहे हैं तुम्हें।
हमारी गुस्ताख़ी माफ़ हो जनाब,
इस तरह परेशान जो कर रहे हैं तुम्हें। हिचकियां........परेशान जो कर रहे हैं तुम्हें
अब क्या करे ? ये हिचकी है ही ऐसी कि
यहाॅं याद हम करते हैं तुम्हें
और ये बताने चली आती है वहाॅं तुम्हें।
हिचकी भी कितनी अच्छी होती है
हिचकी भी कितनी अच्छी होती है,
बता देती है कि कोई याद कर रहा है हमे।
परेशान होते ज़रूर हैं थोड़े हिचकी से,
पर खुशी होती है कि
कोई तो है जो सोच रहा है हमें।
हिचकी चले तुम्हें ,
तो समझना कहीं ना कहीं तुम्हारा
ज़िक्र हो रहा हैं हिचकी चले तुम्हें,
तो समझना कहीं ना कहीं तुम्हारा ज़िक्र हो रहा है, या तो तारीफ़ें हो रही है तुम्हारी
या फिर ज़िक्र में कहीं फ़िक्र
तो कहीं बुराइयां हो रही है तुम्हारी।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️