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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हिचकी

हिचकियां चल रही है तुम्हें,
हम याद जो कर रहे हैं तुम्हें।
हमारी गुस्ताख़ी माफ़ हो जनाब,
इस तरह परेशान जो कर रहे हैं तुम्हें। हिचकियां........परेशान जो कर रहे हैं तुम्हें
अब क्या करे ? ये हिचकी है ही ऐसी कि
यहाॅं याद हम करते हैं तुम्हें
और ये बताने चली आती है वहाॅं तुम्हें।

हिचकी भी कितनी अच्छी होती है
हिचकी भी कितनी अच्छी होती है,
बता देती है कि कोई याद कर रहा है हमे।
परेशान होते ज़रूर हैं थोड़े हिचकी से,
पर खुशी होती है कि
कोई तो है जो सोच रहा है हमें।

हिचकी चले तुम्हें ,
तो समझना कहीं ना कहीं तुम्हारा
ज़िक्र हो रहा हैं हिचकी चले तुम्हें,
तो समझना कहीं ना कहीं तुम्हारा ज़िक्र हो रहा है, या तो तारीफ़ें हो रही है तुम्हारी
या फिर ज़िक्र में कहीं फ़िक्र
तो कहीं बुराइयां हो रही है तुम्हारी।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️





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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar likha mam, Pranam suprabhaat 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

वन्दना सूद said

या फिर ज़िक्र में कहीं फ़िक्र तो कहीं बुराइयां हो रही है तुम्हारी।😊👏👏bahut sundar

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

कमलकांत घिरी said

वाह रीना दीदी अब तो इन हिचकियों से भी हमें प्यार हो गया, परेशान होते ज़रूर हैं थोड़े हिचकी से, पर खुशी होती है कि कोई तो है जो सोच रहा है हमें। लाजवाब👌👌🙏प्रणाम🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया भाई हिचकियों से प्यार करने के लिए और मेरी रचना को पढ़ने के लिए🙏

Vadigi.aruna said

Nice explanation Reena ji

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks

Bhushan Saahu said

Very nice keep it up

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks

Komal Raju said

Bahut khoob kha aapne apni baahvnao ko bahut ache se bayan kiya ha

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी

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