रास्ते में चलते चलते हर सूरत प्यारी , सुंदर और कातिल लगती है,
आशिक, दीवानों की आंखों से पूछो कि हुस्नवालियां कैसी लगती हैं,
जो बेघर है उसे रास्ते के सभी घर अपना लगता है,
जिसकी कोई मंजिल नहीं है, उसकी आँखों से पूछो कि मंजिल कैसी होती है,
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'