कभी - कभार मुझे मैं ही,
मैं नहीं लगता
कभी तुम्हे सही नहीं लगता
कभी मुझे सही नहीं लगता
ये रिश्ते महज कोर्रम हो गए हैं
ताल्लुकात पुराना वही नहीं लगता
कभी तुम्हे सही नहीं लगता
कभी मुझे सही नहीं लगता
तुम्हे लगता है?
जो कह रहा हूँ सच है!
या कुछ भी सही में वाकई नहीं लगता
कभी तुम्हे सही नहीं लगता
कभी मुझे सही नहीं लगता
मन बेचैन हो जाता है
दुनियादारी देख
अब आदमी को आदमी
आदमी नहीं लगता
कभी तुम्हे सही नहीं लगता
कभी मुझे सही नहीं लगता
बात को बात के मतलब से
ज़ब कोई मतलब न रहा
तब कुछ भी कहना अब
लाजमी नहीं लगता
कभी तुम्हे सही नहीं लगता
कभी मुझे सही नहीं लगता
-सिद्धार्थ गोरखपुरी


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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