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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जलन होने लगी है

मेरी मोहब्बत की दुकान से उसे जलन होने लगी है
मेरी शौहरत से डर के रूह उनकी चैन खोने लगी है
अब खुदा ही बचाए उन को इस जलन से यादव
न जाने उन्हें हम से क्यूं इस कदर जलन होने लगी है


यह रचना, रचनाकार के
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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Ohh! Aisa hai kya ? Kise jalan hone lagi hai apki mohabbat ki dukaan se.. bahut sundar panktiyan

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। इस वेबसाइट को स्पांसर करने वाले वेदव्यास मिश्र को हमारी मोहब्बत की दुकान से जलन होने लगी है, उन्होंने एक लम्बी पोस्ट लिख कर इसका विरोध किया है, खुद ही पढ़ लीजिए।

कमलकांत घिरी said

बड़ी तीखी व्यंग्य है सरकार😮

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार कमलकांत भाई।

रीना कुमारी प्रजापत said

wo post to mujhe nhi mil rahi hai

Lekhram Yadav replied

मोहब्बत की दुकान भाग-8 देखिए। शायद उन्होंने डिलीट करवा दी।

वेदव्यास मिश्र said

Lekhram Yadav जी, मेरे परम प्रिय हृदय मित्र, सादर नमन !! मेरे समझ से परे है भाई, आप मुझ पर इतना खतरनाक इल्जाम क्यों लगा रहे हैं, ये मेरे समझ से परे है !! मैंने तो जो भी कहा था, सामने-सामने कहा था..बकायदा दो कारण गिराकर !! अगर मेरी बात बुरी लगी हो आपको भाई यादव जी तो मैं तहे दिल से क्षमाप्रार्थी हूँ !! अगर मेरे लिखने से आपके हृदय को रत्ती भर भी ठेस लगी हो तो मैं आपसे बारम्बार क्षमा चाहता हूँ !! हालांकि मेरा उद्देश्य आपका दिल दुखाना कतई नहीं था !! 🙏🙏💖💖🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वेदव्यास मिश्र जी, कोई भी बात अकारण ही नहीं की जाती और न ही कोई इल्ज़ाम बिना किसी कारण नहीं लगाया जाता, जरा सोचिए, यही बात मैंने किसी और के लिए क्यों नहीं कही। मेरी दस गजलों की विषयवस्तु को बिगाड़ कर परिवर्तित किया गया है और दो गजलों के शीर्षक बदल दिए गए हैं, क्या ये अपने आप हो गया है। मैंने इस बात की शिकायत लिखन्तु आफिशियल पर भी की है। मैंने पुलिस जैसे विभाग में भी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से नौकरी की है, मुझे झूठ बोलने की क्या जरूरत है। मैंने आपकी बात सहर्ष स्वीकार की थी, मगर मेरी रचनाओं के साथ छेड़-छाड़ क्यों की गई, मुझे इसी बात का अफसोस है वरना कौन क्या कहता है मुझे इसकी कोई परवाह नहीं है। अगर मुझसे कोई गलती होती है मैं तुरन्त क्षमा मांग लेता हूं और मैंने ऐसा किया भी है। इस बात के लिए भी मैंने आपको माफ कर दिया है, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहुंगा। धन्यवाद।

वेदव्यास मिश्र said

Lekhram Yadav जी, मेरी क्या औकात कि मैं आपकी रचना डिलीट करवा सकूँ !! मैं एक सामान्य रचनाकार हूँ..इससे ज्यादा मेरी कोई औकात भी नहीं !! हाँ, मैंने आपके हरिया वाले पार्ट के बारे में जो भी कहा..आपकी रचना के भलाई के लिए ही कहा !! अब अगर आपको कोई बात इस तरह से भी बुरी लग सकती है तो मुझे कृपया क्षमा करने की कृपा करें !! मैं भविष्य में इस तरह की प्रतिक्रिया ही व्यक्त नहीं करूँगा आपकी रचना के बारे में !! 🙏🙏💖💖🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वेदव्यास मिश्र जी, अपने अन्तर्मन से ही पूछिए क्या सही और क्या गलत है, मुझसे पूछने और क्षमा मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है ।आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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