" विद्यार्थी जीवन की यात्रा"
विद्यार्थी जीवन तपसी सा,
तपना पड़ता है दिन रात ।
बिनातपे कोई सफल न होता,
पक्की है मानो यह बात ।
संघर्ष ही जीवन का हिस्सा है,
मंजिल ही जीवन का किस्सा है।
विद्यार्थी बन मंजिल को पाना है,
राही बन मंजिल तक जाना है।
मां के सपनों को पूरा करना है,
पिता के उम्मीदों पर खरा उतरना है।
दूसरों से पहले हमें स्वंय को जितना है,
हमें अपने लक्ष्य पर अडिग रहना हैं।
लाख मुशिकलें आये राहों में,
इससे नहीं घबराना हैं
मुश्किलों को पार करके,
हमें सबसे आगे निकलना हैं।
विद्यार्थियों का दर्पण पुस्तक हैं,
श्रृंगार विद्या है,
आदर्शवादी, चंचलता, सहनशीलता..
यही हमारा परिधान हैं।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव,
ममरखा, अरेराज, पूर्वी चम्पारण (बिहार)