दुनिया मांगे जिससे सबकुछ ,
सबकुछ है , वो सब त्यागी है,
भोला है वो बैरागी है......
शक्ति भयंकर रखने वाला ,
कालकूट को चखने वाला ,
वर्तमान, गतकाल वही है,
लघु एवम, विकराल वही है,
मृदुभाषी है , वो अनुरागी है ,
भोला है वो बैरागी है.......
त्रिभुवन जिसके भीतर है ,
जटा में गंगा शीतल है ,
भाल में चंद्र बिराजे है ,
डम डम डमरू बाजे है ,
कैलाश बसे , वो महात्यागी है ,
भोला है वो बैरागी है...........
ध्यान ज्ञान का सार है जो ,
मृत्यु के भी पार है जो ,
गृहस्थ है , परिवार भी है ,
मोह धरे , मोह पार भी है ,
दुर्गा का जो सहभागी है ,
भोला है वो बैरागी है .........
----प्रज्ञान